रिफाइंड तेल के नुकसान, सेहत के लिये है ज़हर समान, रिफाइंड तेल घर लाएं और बीमारियों को बुलाएं

 

रिफाइंड तेल के नुकसान, सेहत के लिये है ज़हर समान, रिफाइंड तेल घर लाएं और बीमारियों को बुलाएं

रिफाइंड आयल के बारे में शायद आप नहीं जानते है इसलिये बे-झिझक आप इसका प्रयोग करते है । लेकिन क्या आपको पता है कि आपके स्वास्थ्य के लिए ये रिफाइंड तेल(Refined oil) हानिकारक है। रिफाइनिग हेतु तिलहन को 200-500 डिग्री सेल्सेयस के बीच कई बार गरम किया जाता है और घातक पैट्रोलियम उत्पाद हेग्जेन का प्रयोग बीजों से 100% तेल निकालने के लिए किया जाता है तथा कई घातक रसायन कास्टिक सोड़ा, फोसफेरिक एसीड, ब्लीचिंग क्लेंज आदि मिलाए जाते है ताकि निर्माता हानिकारक व खराब बीजों से भी तेल निकाले तो उपभोक्ता को उसको पता न चले। इसलिए रिफाइंड तेलों(Refined oil)को गन्ध-रहित, स्वाद-रहित व पारदर्शी बनाया जाता 

क्या होता है

रिफाइंड, ब्लीच्ड एवं डिओडोराइन्ड की प्रक्रिया में तेल के अच्छे तत्व समाप्त हो जाते है व घातक जहर घुल जाते है तभी तो ऐसे तेल को तकनीकी भाषा में चीप कामर्शियल आर बी डी ऑॅयल कहते हैं।

शोध के अनुसार तेल को 200 डिग्री से 225 डिग्री पर आधे घंटे तक गर्म करने से उसमें एच एन ई नामक बहुत ही टोक्सिक पदार्थ बनता है।  यह लिनोलिक एसिड के ऑक्सीकरण से बनता है और उत्तकों में प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वों को क्षति पहुँचाता है।  यह ऐथेरास्क्लिरोसिस, स्ट्रोक, पार्किसन, एल्जाइमर रोग, यकृत रोग आदि का जनक माना जाता है।

संतृप्त वसा को गर्म करने पर ऑक्सीकृत नहीं होते हैं और इसलिए गर्म करने पर उनमें एच एन ई भी नहीं बनते हैं इसलिए घी, मक्खन और नारियल का तेल कई दशकों से मानव स्वास्थ्य को रोगग्रस्त करने की बदनामी झेलने के बाद आज कल पुनः आहार शास्त्रियों के चेहते बने हुए हैं।

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